Rohit Saachan Rohit Saachan
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नदी के किनारे पहुंचने के बाद मछली पकड़ने गये आदमी को मालूम पड़ा कि वो मछलियों के लिए चारा लाना तो भूल ही गया। तभी उसने एक छोटे से सांप को वहां से गुजरते देखा जो अपने मुंह में एक कीड़ा पकड़े हुआ था। आदमी ने सांप को पकड़ा और उसके मुंह से वह कीड़ा छीन लिया। लेकिन यह सोचकर कि बेचारे सांप के पास खाने को कुछ नहीं है उसे थोड़ा बुरा लगा और उसने फिर से सांप को पकड़ा और उसके मुंह में थोड़ी बीयर टपका दी। फिर वो मछली पकड़ने में जुट गया। करीब एक घण्टे बाद आदमी को लगा कि कोई उसका पैंट हल्के से खींच रहा है। नीचे देखने पर उसने उसी सांप को पाया जो मुंह में तीन कीड़े पकड़े हुआ था और बड़ी आशा से उसकी तरफ देख रहा था।
थक कर जब वो आँखे सोती होंगी, रोज रात को रोती होंगी। निहारती होंगी वो मुझको, आंखो ही आंखो में। देखती होंगी ढंूढती होंगी, मुझको वो रातो में। वो कहती थी मुझसे,तू मेरा सबसे प्यारा बेटा है। पापा से कहती इसे मत डंाटो, घर मे यही तो सबसे छोटा है। चोट मुझे जब लग जाती थी,वो भागी भागी आती थी। जब मुझे सुलाने के लिये,वो लोरी गाकर सुनाती थी। जब मेरी चोट का दर्द,उसकी आँखो से बहता था। बडा होकर नही रोऊंगा मैं ये माँ से कहता था। तूने ही सिखाया था,फिर बढते चले मेरे कदम। बढते चले मेरे कदम,फिर दुश्मन की तरफ। माँ के आँचल पर पाँव रखने का,सिखा दिया उनको सबक। फिर जिस्म मे मेरे,सन्नाटा सा छा गया। फिर आयी याद तुम्हारी,और आँखो मे पानी आ गया। फिर मिला दिल को सुकून,हाँ फिर आज मैं रोया हंू। जिस गोद मे खेलकर बडा हुआ . . . आज उसी गोद मे सोता हूं . . .)